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मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला धार्मिक स्थान है

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मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला धार्मिक स्थान के लिए प्रसिद्ध है तथा यहां पर कई जलप्रपात व अन्य पर्यटक स्थल हैं। जहां पर प्रकृति प्रेमी जाकर अपना समय व्यतीत कर सकते हैं, यहां पर अच्छे घने जंगल वह छोटी बड़ी बहुत सी पहाड़ियां हैं, यहां का दृश्य बड़ा ही सुहाना होता है। यहां हम आपको अनूपपुर जिले के विभिन्न पर्यटक स्थलों की जानकारियां देंगे।
1- अमरकंटक- अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित है, यह मां नर्मदा का उद्गम स्थल माना जाता है तथा यह स्थान एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। अमरकंटक में ही कई ऐसे धार्मिक स्थान और जलप्रपात हैं। अमरकंटक को भगवान शिव, कपिल मुनि, दुर्वासा ऋषि की तपोभूमि भी माना जाता है। मां नर्मदा उद्गम स्थल के पास ही मंदिर भी है, जहां पर मां नर्मदा की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के साथ-साथ अन्य कई छोटे बड़े मंदिर हैं, जिनमें राम जानकी मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर इत्यादि हैं। माता नर्मदा उद्गम स्थल के पास ही कल्चुरी कालीन मंदिर भी है। जिसका निर्माण यहां के नरेश कान देव ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। कल्चुरी कालीन मंदिरों का एक समूह है, जहां पर कर्ण मंदिर, महेंद्र नाथ मंदिर, पातालेश्वर मंदिर, केशव नारायण मंदिर आदि प्रमुख रूप से विद्यमान हैं। इस परिसर में एक सूर्यकुंड भी है जिसे शंकराचार्य जी महाराज ने बनवाया था, इन मंदिरों की देखरेख पुरातत्व विभाग करता है।
अमरकंटक में ही माई की बगिया है, यह उद्गम स्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां सुंदर फूल और फलों के पेड़ हैं। माई की बगिया की सुंदरता देखने में अत्यंत मनोरम होती है।
मां नर्मदा के उद्गम स्थल से 15 किलोमीटर की दूरी पर सोनमुड़ा उद्गम स्थल है। सोन नदी और भद्रा नदी यहां से उद्गम होती हैं और कुछ दूरी पर जाकर मिल जाती हैं, इसलिए यह सोनभद्र कहलाती हैं। दोनों नदिया मिलकर 100 फीट का झरना बनाती हैं, यह झरना देखने में बहुत सुंदर लगता है।
उद्गम स्थल से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर मां नर्मदा का पहला जलप्रपात बनता है, जिसे कपिलधारा जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। इसकी धारा जमीन से लगभग 100 फीट नीचे गिरती है, कुछ पर्यटक नीचे जाकर भी स्नान करते हैं। यहीं पर कपिल मुनि महाराज का आश्रम है और मंदिर भी है।
कपिलधारा से नीचे जाने पर मां नर्मदा का दूसरा जलप्रपात है, यहां का जल गिरते हुए दूध के समान दिखाई देता है इसलिए इसे दूध धारा जलप्रपात कहा जाता है। यह स्थान दुर्वासा ऋषि का तपोभूमि माना जाता है।
अमरकंटक में जलेश्वर मंदिर है, यह मंदिर अमरकंटक से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह भगवान शिव का मंदिर है, मान्यता के अनुसार यहां भगवान शिव ने स्वयं शिवलिंग स्थापित किया था।
अमरकंटक में विशाल जैन मंदिर है इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की 24 टन की प्रतिमा स्थापित है।
श्री यंत्र महामेरू मंदिर मां नर्मदा के उद्गम स्थल से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह घने जंगलों से घिरा हुआ है। मंदिर की आकृति श्री यंत्र जैसी है। यहां का दृश्य बहुत ही मनोरम और मनमोहन होता है।
अमरेश्वर महादेव मंदिर अमरकंटक से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह छत्तीसगढ़ का बॉर्डर है, यहां शिवलिंग की ऊंचाई 11 फिट है और शिवलिंग का वजन 51 टन है। यह शिवलिंग ओंकारेश्वर से लाया गया है। इस पर जलाभिषेक के लिए सीढ़ियां लगी हुई हैं। अमरकंटक दर्शनीय स्थल है, यहां पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं।


2- सिलहरा की गुफाएं – मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर कोतमा तहसील के अंतर्गत सिलहरा की गुफाएं स्थित है। इन गुफाओं के आगे पीछे सीढ़ियां, कुंड, स्नान करने का स्थान, पूजा स्थल, पढ़ने लिखने की पट्टीकायें मिलती हैं। इन गुफाओं में खूबसूरत पाषाण चक्र देखने को मिलता है जो की खंडित हो चुका है। गुफा के अंदर ही भगवान शिव का पूजा स्थल भी है। कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर वनवास के समय में पांडव कुछ समय के लिए रुके हुए थे इन गुफाओं के पास ही केवई नदी है। इस नदी का जल स्वच्छ है, इसमें स्नान भी किया जा सकता है। यहां पर मकर संक्रांति और शिवरात्रि में मेला लगता है। यहां आस-पास के लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं तथा दूर-दूर से पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। वैसे तो इन गुफाओं को पुरातत्व विभाग में संरक्षित स्मारक घोषित किया है परंतु अभी तक शासन प्रशासन द्वारा इसकी देखभाल नहीं की जा रही है जिसके कारण कुछ दूरी पहले से ही कच्चे रास्ते से जाना होता है।

3- स्वयंभू गणेश जी मंदिर – अमरकंटक से 35 किलोमीटर की दूरी पर धरहर कला गांव के पास जंगल में गणेश जी की प्राचीन मूर्ति है जो लगातार बढ़ रही है, आसपास के लोगों का मानना है कि यह मूर्ति एक फीट से अब 11 फुट हो गई है। यहां पर भक्तों द्वारा मांगी गई मन्नत पूर्ण होती है। यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ है, इससे यहां का दृश्य और भी मनमोहक होता है।


4- धरहर कला जलप्रपात- यह जलप्रपात गणेश जी मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गणेश जी मंदिर से पैदल जाना होता है। रास्ता सही न होने से यहाँ पहाड़ियों के बीच से छोटी-छोटी पगडंडियों से जाना पड़ता है। पहाड़ों तथा जंगलों के बीच में स्थित होने से यहां का वातावरण बहुत शांत होता है और यहां की हरियाली पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।


5- कोडर जलप्रपात– अनूपपुर का यह स्थान कोडर वॉटरफॉल के नाम से प्रसिद्ध है। यह अनूपपुर जिला मुख्यालय से 78 किलोमीटर की दूरी पर जोहिला नदी पर स्थित है। इस स्थान पर जोहिला नदी बहुत ही सुंदर झरना बनाती है और यह नदी कई हिस्सों में बंट जाती है। इस नदी पर यह झरना बरसात और ठंढ के मौसम में अपनी भव्यता को प्रदर्शित करता है। इस झरने को मिनी नियाग्रा वाटरफाल भी कहा जाता है। यह वॉटरफॉल अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील के अंतर्गत कोदर गांव के पास स्थित है।
इस प्रकार से मध्य प्रदेश का अनूपपुर जिला कई धार्मिक स्थान व प्राकृतिक स्थान के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा कई अन्य स्थान है जहां पर पर्यटक आ सकते हैं जिसमें भृगु मंदल, शिव मंदिर नेचर व्यू प्वाइंट, छोटी तुम्मी वॉटरफॉल हैँ।

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