बालाघाट मध्य प्रदेश का जिला है। बालाघाट अपने राष्ट्रीय उद्यान, झरना व पहाड़ियों तथा प्राकृतिक संसाधनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की प्रकृति का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। बालाघाट क्षेत्र जंगलों से घिरा हुआ है यहां पर आदिवासियों की ज्यादा आबादी है। इनके पहाड़ी क्षेत्र में तथा जंगलों में नक्सलियों का डर रहता है। यहां के कुछ क्षेत्रों में जाना प्रतिबंधित है। हम आपको बालाघाट के कुछ प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के बारे में बताते हैं।
1- मां काली पाठ मंदिर – मां काली पाठ मंदिर मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के फॉरेस्ट कॉलोनी में स्थित है। यह मंदिर बहुत ही खूबसूरती के साथ बनाया गया है। स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार यहां माता की प्रतिमा स्वयं धरती से बाहर निकली थी उस समय कुछ लोगों ने मूर्ति का एक हिस्सा देखा था। इसके पश्चात मूर्ति दिन प्रतिदिन पृथ्वी के ऊपर आ रही है, इसी वजह से आज मूर्ति पूर्ण रूप से पृथ्वी के बाहर है। लेकिन लोगों की मान्यताओं के आधार पर अभी मूर्ति कितनी लंबी है इसका पता नहीं है इसका कुछ भाग जमीन के अंदर है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। बालाघाट के लोगों के लिए यह मंदिर एक सिद्ध स्थान है। यहां नवरात्रि में भक्तों की संख्या लाख में पहुंच जाती है।
2- गोमजी – सोमजी मंदिर – गोमजी सोमजी मंदिर मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के भरवेली क्षेत्र के पहाड़ों पर स्थित है। यह बालाघाट मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह माता ज्वाला देवी का मंदिर माना जाता है। यहां दर्शन करने के लिए प्रतिवर्ष महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के हजारों तीर्थ यात्री आते हैं। नवरात्र में मां ज्वाला देवी के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। नवरात्रि में यहां मेला लगता है। ऊंचाई पर स्थित होने से यहां पर सीढ़िओ के द्वारा दर्शन के लिए जाते है।
3- रामपायली मंदिर – रामपायली मंदिर बालाघाट जिले में स्थित है। यहां की मान्यता के अनुसार भगवान राम अपने 14 साल के वनवास के समय यहां आए थे। यहां पर भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण 600 साल पहले मराठा भोसले ने किले के रूप में नदी के तट पर किया था। यहां पर भगवान श्री राम के साथ-साथ माता सीता की और बालाजी महाराज की मूर्ति है। इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण भगवान श्री राम व बालाजी महराज के चरणों में पड़ती है। यहां भगवान राम की मूर्ति उनके वनवासी रूप में स्थापित है। मान्यता के अनुसार भगवान राम की वनवास वेशभूषा की प्रतिमा 400 साल पहले चंदन नदी से प्राप्त हुई थी। यहां दर्शन के लिए प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु आते हैं।
4- बजरंग घाट – बालाघाट के वैनगंगा नदी पर बजरंग घाट स्थित है। यह घाट प्रकृति प्रेमियों और तैराकों के लिए उत्तम स्थल है, जहां पर वे जल क्रीड़ा का आनंद ले सकते हैं। बजरंग घाट पर छोटे-छोटे मंदिर हुआ अखाड़े हैं। बालाघाट का यह बजरंग घाट स्नान के लिए सबसे सुरक्षित घाट माना जाता है। इस घाट पर गर्मियों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भीड़ होती है। इस घाट के पास विश्राम स्थल भी है तथा एक स्थानीय तैराक क्लब भी है, जिसे जिला तैराकी संघ बालाघाट के नाम से जाना जाता है। गर्मियों में इसे प्राकृतिक स्विमिंग पूल कहा जाता है।
5- गांगुलपारा बांध तथा झरना – बालाघाट मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर गांगुल पारा बांध व झरना है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को मनमोहित करता है। यहां पर पिकनिक स्पॉट होने के कारण लोग पिकनिक के लिए सप्ताह के अंत में आते हैं। इस बांध और झरने के कारण आसपास के स्थानीय लोगों के लिए पीने तथा सिंचाई की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
इस झरने के चारों तरफ पहाड़िया ही हैं। आप 52 घाटों से गुजरते बांध को देख सकते हैं। बरसात के समय में यहां छोटे-छोटे कई झरने हो जाते हैं। यहां का दृश्य बहुत ही मनोरम और लुभावना हो जाता है।
6- राजीव सागर बांध- यह बांध मध्य प्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा निर्मित है। राजीव सागर बांध 31 मीटर ऊंचा और 6420 मीटर लंबा बनाया गया है। यह बालाघाट की ग्राम कुंडवा तथा भंडारा जिले के बावनथड़ी गांव में निर्मित किया गया है। इस बांध से मध्य प्रदेश के लगभग 97 गांव को लाभ मिलता है।
7- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का एक बड़ा हिस्सा बालाघाट जिले में भी मौजूद है। जहां हजारों प्रकार के पशु, पक्षी, जंगली जानवर देखने को मिलते हैं। इसके अंदर झील वह झरने भी उपलब्ध है। जंगल सफारी के लिए यह प्रमुख माना जाता है। यहां कई प्रकार के बाघ, शेर, चीता निवास करते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राकृतिक संसाधनों के लिए भी जाना जाता है।
बालाघाट में अन्य कई पर्यटक स्थल हैं जिसमें लांजी का किला, नहलेशरा डैम, ढुट्टी बांध, काली पुतली, पुराना राम मंदिर, कोसमी, हट्टा की बावड़ी हैँ।