उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में स्थित पिथौरागढ़ जिला अपनी भौगोलिक विविधता, धार्मिक महत्व और अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों के कारण यात्रियों के बीच विशेष लोकप्रियता रखता है। लगभग 7090 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह जिला “लिटिल कश्मीर” भी कहा जाता है। गर्मियों में पर्यटकों की भीड़ यहां बढ़ जाती है क्योंकि यह क्षेत्र बर्फीली चोटियों, हरे-भरे जंगलों, झरनों, घाटियों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है।
यहां मौजूद मंदिर, गुफाएं, आश्रम और पर्वतीय गांव यात्रियों को अध्यात्म, प्रकृति और स्थानीय संस्कृति का अनोखा अनुभव कराते हैं। चलिए, पिथौरागढ़ के उन प्रमुख आकर्षणों को विस्तार से जानते हैं जिनका महत्व धार्मिक होने के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

1- गंगोलीहाट – इतिहास, आस्था और प्रकृति का संगम
गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जिले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन केंद्र है। यहां स्थित हाट कालिका मंदिर, एक सिद्ध पीठ है और इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। यह मंदिर श्रद्धालुओं में अत्यधिक आस्था का केंद्र है।
गंगोलीहाट की प्रमुख विशेषताएँ
- हाट कालिका मंदिर – जहां दुर्गा मां की पूजा होती है
- पाताल भुवनेश्वर गुफा – कैलाश पर्वत की कथा से जुड़ी रहस्यमयी गुफा
- गुफा के अंदर प्राकृतिक शिवलिंग और दिव्य संरचनाएँ
- यहां से दिखने वाली हिमालय की चोटियां
- शांत जंगलों और घाटियों से घिरा वातावरण
पिथौरागढ़ मुख्यालय से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान हर मौसम में घूमने योग्य है।

2- नारायण आश्रम – आध्यात्मिक साधना का शांत केंद्र
यह खूबसूरत नारायण आश्रम पिथौरागढ़ मुख्यालय से लगभग 136 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान आध्यात्मिक का केंद्र माना जाता है। इस आश्रम में अलग-अलग वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग शिक्षा की व्यवस्था है, जिसमें स्थानीय बच्चों के लिए एक स्कूल है और स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण कराया जाता है। यह धार्मिक स्थान होने के कारण यहां पर काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस आश्रम में पुस्तकालय ध्यान कक्ष व समाधि स्थान भी है जहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं और इसका आनंद लेते हैं। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से काफी सुंदर तथा आसपास के क्षेत्र बड़े मनोरम लगते हैं।

3- बड़ाबे (लटेश्वर महादेव मंदिर)
पिथौरागढ़ जिले में शहर मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बड़ाबे शिव जी का विशाल मंदिर है। यहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, यह दार्शनिक स्थल होने के साथ-साथ पर्यटक स्थल भी है। जहां पर सर्दियों में काफी बर्फबारी होती है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है, हरी भरी पहाड़ियों तथा जंगलों के बीच स्थित यहां का वातावरण काफी मनमोहक होता है। यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु तथा पर्यटक आते हैं। इस मंदिर को लटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

4- कपिलेश्वर महादेव मंदिर – गुफा के अंदर स्थित शिवधाम
भगवान शिव का यह मंदिर पिथौरागढ़ शहर में स्थित है मुख्यालय से इसकी दूरी मात्र 3 किलोमीटर है। कपिलेश्वर महादेव मंदिर का गर्भ गृह एक अंधेरी गुफा के अंदर स्थित है। यहां पर प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता के अनुसार इस पुराने मंदिर में कपिल नामक ऋषि ने तपस्या की थी। यह स्थान प्राकृतिक रूप से भी काफी खूबसूरत है और पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

5- ध्वज मंदिर – हिमालय दर्शन का सर्वोत्तम स्थान
पिथौरागढ़ शहर में मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव और देवी जयंती का ध्वज मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। समुद्र तल से केवल 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह प्राकृतिक रूप से काफी खूबसूरत बनाया गया है। यहां पर दो मंदिर स्थित है एक मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती है तथा दूसरे मंदिर में मां जयंती की पूजा की जाती है। बर्फीले पहाड़ों के बीच में स्थित होने के कारण यहां का दृश्य मनमोहक होता है। स्वच्छ वातावरण होने के कारण यहां पर पर्यटक ज्यादा संख्या में आते हैं।

6- मुनस्यारी – बर्फ, ग्लेशियर और पहाड़ों का स्वर्ग
मुनस्यारी हिल स्टेशन पिथौरागढ़ जिले में समुद्र तल से 2135 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इसे जोहार घाटी के नाम से भी जाना जाता है। महेश्वरी कुंड तथा धमरी कुंड झील है। पहले इस स्थान को तिकसेन के नाम से जाना जाता था। यह स्थान ज्यादातर समय वर्फ से ढका रहता है। पहाड़ियों के बीच में स्थित यह स्थान बहुत ही खूबसूरत है, यहां पर प्राकृतिक संपदाओं की खान है, यहां के खूबसूरत जंगल तथा झरने प्रसिद्ध है। यहां पर पर्यटक ट्रैकिंग के लिए आते हैं। यहां पर पर्यटक रकम और नीलम ग्लेशियर तथा नंदा देवी चोटी पर ट्रैकिंग कर सकते हैं।
उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला प्राकृतिक रूप से काफी खूबसूरत है। ज्यादा पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां की जनसंख्या भी काफी कम है, परंतु पर्यटक यहां ज्यादा संख्या में आते हैं। यहां पर पर्यटक अन्य स्थानों पर भी घूम सकते हैं, जिसमें से अर्जुनेश्वर मंदिर, नकुलेश्वर मंदिर, पिथौरागढ़ का किला, थल केदार मंदिर, नैनी सैनी हवाई अड्डा, पंचेश्वर बांध, चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध बेणीनाग, चौकोड़ी, दारमा वैली, ब्यास वैली, चंडाक, धारचूला इत्यादि स्थान हैँ।
पिथौरागढ़ के अन्य घूमने योग्य स्थान
- अर्जुनेश्वर मंदिर
- पिथौरागढ़ किला
- नकुलेश्वर मंदिर
- थल केदार मंदिर
- बेणीनाग चाय बागान
- चौकोड़ी व्यूप्वाइंट
- धरचूला
- दारमा घाटी
- ब्यास घाटी
- चंडाक
ये स्थान पिथौरागढ़ को एक संपूर्ण पर्यटन जिला बनाते हैं।
FAQs (Featured Snippet Optimized)
Q1. पिथौरागढ़ में घूमने के लिए कौन-कौन से प्रमुख स्थान हैं?
गंगोलीहाट, मुनस्यारी, नारायण आश्रम, ध्वज मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर, पाताल भुवनेश्वर और बेणीनाग पिथौरागढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
Q2. पिथौरागढ़ घूमने का सबसे अच्छा समय कब है?
मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का समय सबसे उपयुक्त है। सर्दियों में बर्फबारी भी होती है।
Q3. क्या पिथौरागढ़ में ट्रेकिंग होती है?
हाँ, मुनस्यारी, रंक-नीलम ग्लेशियर, नंदा देवी बेस कैंप और दारमा वैली पिथौरागढ़ के लोकप्रिय ट्रेक हैं।
Q4. पिथौरागढ़ कैसे पहुंचे?
यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। नज़दीकी हवाई अड्डा नैनी सैनी एयरपोर्ट है।



