मध्य प्रदेश का भिंड जिला बहुत ही गर्म माना जाता है। भिंड घूमने के लिए जुलाई से फरवरी महीने को उत्तम माना जाता है। भिंड में पर्यटकों के लिए कई अच्छे स्थान मिल जाएंगे जिसमें हरे जंगल, बहती नदियां, ऐतिहासिक स्मारक और कई मंदिर तथा झील हैं। भिंड प्राकृतिक सुंदरता का एक रूप भी है। भिंड के जंगल पहले डाकुओं के लिए प्रसिद्ध थे। अब यहां पर नागरिक सामान्य जीवन जीते हैं। भिंड का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में चंदेल, चौहान वंश, मुगलों तथा सिंधिया राजवंशों का शासन रहा है। भिंड का आकर्षण किलों,चट्टानों की रचनाओं, पहाड़ियों, घाटियों, घने जंगलों और प्राचीन मंदिरों से भरा हुआ है। इस जिले की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है। हम यहां आपको भिंड के कुछ अच्छे पर्यटक स्थल के बारे में बताएंगे।
1- अटेर किला – अटेर किला भिंड जिले में स्थित है। यह भिंड मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है। इस किले का निर्माण राजा बदन सिंह ने 1664 से 1669 के दौरान कराया था। यह किला घने जंगलों के बीच स्थित है, इसलिए यहां केवल सुबह से शाम 4:00 बजे तक ही जाने की सलाह दी जाती है। अटेर किले में राजा बदन सिंह का महल, खूनी दरवाजा, राजा का बंगला, रानी का बंगला और बारह खंबा महल देख सकते हैं। इस किले के आसपास का क्षेत्र बहुत ही मनमोहक है। यहां पर हरे भरे पेड़ तथा अच्छी झाड़ियां देखने को मिलती हैं।
2- जैन मंदिर – भिंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर बरासों गांव में जैन मंदिर स्थित है। यह स्थान भगवान महावीर की यात्रा को चिन्हित करने के लिए बनाया गया था। यहां की मान्यता के अनुसार माना जाता है कि भगवान महावीर अपनी ज्ञान प्राप्ति के बाद यहां अपनी यात्रा पर आए थे। भिंड में इसके अलावा भी कई जैन धर्म के मंदिर हैं। जिसमें से पावई में भगवान नेमिनाथ जैन मंदिर तथा भिंड से 20 किलोमीटर दूर चंबल नदी के तट पर बाराही में पार्थनाथ मंदिर है। भिंड से ही लगभग 20 किलोमीटर दूर सिमर विरगमा गांव में दिगंबर जैन पारसनाथ जैन मंदिर है। भिंड में लगभग 60 से 70 जैन मंदिर है।
3- जमदरा में माता रेणुका मंदिर – माता रेणुका का यह मंदिर भिंड के गोहद तहसील में स्थित है। इस मंदिर में माता रेणुका की मूर्ति स्थापित है। भगवान परशुराम के अनुयाई दूर-दूर से यहां पर दर्शन और माता रेणुका के सिर को श्रद्धांजलि देने के लिए आते हैं।
4- राष्ट्रीय चंबल वन्य जीव अभयारण्य- भिंड जिले में स्थित राष्ट्रीय चंबल वन्य जीव अभयारण्य भिंड मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर विशेष रूप से घड़ियाल देखे जा सकते हैं। यह चंबल नदी के तट पर स्थित होने के कारण यहां पर वन्य जीव जैसे मगरमच्छ, गंगा डॉल्फिन तथा कई प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां दिखाई देती हैं। यहां पर नाव क्रूज की व्यवस्था होती है।
5- वन खंडेश्वर मंदिर – वन खंडेश्वर मंदिर भिंड शहर में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सन 1175 में राजा पृथ्वीराज चौहान ने कराया था। भगवान शिव के इस मंदिर में सदियों से अखंड ज्योति जल रही है, यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और यहां पर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
6- श्री रावतपुरा धाम- भिंड के लहार तहसील में हनुमान जी महाराज का भव्य मंदिर है, इस मंदिर को रावतपुरा धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पांडव के समय से जुड़ा हुआ है।
यहां पर हनुमान जी महाराज के श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
7- छतरी – महारानी अहिल्याबाई होलकर ने सन 1766 में मराठा शासकों के सम्मान में मल्हार राव होलकर की छतरी का निर्माण कराया था। यह छतरी अपनी सुंदर नक्काशी तथा वास्तुकला के लिए सबसे अलग मानी जाती है। इस छतरी पर फूलों और पत्तियों के पैटर्न की नक्काशी की गई है। इसके प्रथम तल पर एक स्तंभ युक्त हाल है तथा ऊपर गुंबद और मेहराब का सुंदर मिश्रण है।
मध्य प्रदेश के भिंड जिले में इसके साथ-साथ अन्य कई स्थान जहां पर पर्यटक घूमने व दर्शन के लिए जा सकते हैं, जिसमें महर्षि नारद देव मंदिर, कछारी महल, पंचनदा आदि है।